चंदा चांदनी में जब चमके…गीता दत्त और गीता बाली का अनूठा संगम

Geeta Bali

हमारे चुने हुए गीता दत्त के गाए गानें इन दिनों आप सुन रहे हैं ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की ख़ास लघु शृंखला ‘गीतांजली’ के अन्तर्गत। आज के अंक में गीता दत्त गा रहीं हैं गीता बाली के लिए। जी हाँ, वही गीता बाली जिनकी थिरकती हुई आँखें, जिनके चेहरे के अनगिनत भाव, जिनकी नैचरल अदाकारी के चर्चे आज भी लोग करते हैं। और इन सब से परे यह कि वो एक बहुत अच्छी इंसान थीं। गीता बाली का जन्म अविभाजित पंजाब में एक सिख परिवार में हुआ था। उनका असली नाम था हरकीर्तन कौर। देश के बँटवारे के बाद परिवार बम्बई चली आई और गरीबी ने उन्हे घेर लिया। तभी हरकीर्तन कौर बन गईं गीता बाली और अपने परिवार को आर्थिक संकट से उबारा एक के बाद एक फ़िल्म में अभिनय कर। बम्बई आने से पहले उन्होने पंजाब की कुछ फ़िल्मों में नृत्यांगना के छोटे मोटे रोल किए हुए थे। कहा जाता है कि जब किदार शर्मा, जिन्होने गीता बाली को पहला ब्रेक दिया, पहली बार जब वो उनसे मिले तो वो अपने परिवार के साथ किसी के बाथरूम में रहा करती थीं। किदार शर्मा ने पहली बार गीता बाली को मौका दिया १९४८ की फ़िल्म ‘सुहाग रात’ में। और इसी फ़िल्म से शुरु हुआ गीता बाली और गीता रॉय का साथ। गीता बाली और गीता दत्त, दोनों ने ही यह साबित किया कि दर्दीले और चुलबुले, दोनों तरह के किरदार और गीत गानें में वो अपनी अपनी जगह पारंगत हैं। १९५१ में गुरु दत्त की पहली हिट फ़िल्म ‘बाज़ी’ से गीता बाली एक नामचीन अदाकारा बन गईं। देव आनंद ने इस फ़िल्म के बारे में कहा था कि “People came repeatedly to theatres to see Geeta’s spirited dancing to “tadbeer se bigdi hui taqdeer bana de”. This cemented the bonding between Geeta Bali and Geeta Roy!” शम्मी कपूर गीता बाली की ज़िंदगी में आए जब वे दोनों ‘मिस कोका कोला’ और ‘कॊफ़ी हाउस’ जैसी फ़िल्मों में साथ साथ काम कर रहे थे। दोनों ने आगे चलकर शादी कर ली, लेकिन बहुत जल्द गीता बाली इस दुनिया से गुज़र गईं। उस वक़्त शम्मी कपूर ‘तीसरी मंज़िल’ फ़िल्म में काम कर रहे थे।

गीता बाली की थोड़ी चर्चा हमने की, और अब बारी है आज के गाने की। गीता दत्त की आवाज़ में पेश है गीता बाली पर फ़िल्माया फ़िल्म ‘मुजरिम’ का गीत “चंदा चांदनी में जब चमके”। वैसे आपको बता दें कि इस फ़िल्म में शम्मी कपूर की नायिका थीं रागिनी; गीता बाली तो बस होटल डान्सर की भूमिका में केवल इसी आइटम सॊंग् में नज़र आईं। इस गीत में गीता बाली को बर्मीज़ लुक्स दिए गए, जिस तरह से हेलेन दिखती थीं। बहुत ही खुशमिजाज़ गीत है और एक बार फिर से ओ. पी. नय्यर साहब की धुन, लेकिन इस बार गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी। इस गीत का शुरुआती संगीत काफ़ी हद तक हमें याद दिलाती है “मेरा नाम चिन चिन चू” के शुरुआती संगीत का। तो दोस्तों, आइए गीत को सुना जाए, पिछले दो गीतों की तरह आज भी बारी है झूमने की। गीता दत्त की आवाज़ में इस तरह के गानें इतने अच्छे लगते हैं कि सच में दिल झूम उठता है। ५० के दशक में नय्यर साहब ने बहुत से इस तरह के गानें गीता दत्त से गवाए हैं, जिनमें से बहुत से गानें आज कहीं से बिल्कुल सुनाई नहीं देते हैं। और आज का गीत उन्ही में से एक है। लेकिन पराग जी के प्रयास का नतीजा है कि आज हम इस गीत को एक बार फिर से जी रहे हैं। आइए सुनते हैं।

Source :

http://podcast.hindyugm.com/2009/12/blog-post_02.html

हम “हिन्दयुग्म ” के “आवाज़” परिवार के आभारी है, जिन्हें हमें यह लेख यहापर प्रस्तुत करने की अनुमती दी. सजीव जी और सुजॉय जी का विशेष आभार.

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2 Responses to “चंदा चांदनी में जब चमके…गीता दत्त और गीता बाली का अनूठा संगम”

  1. Dr Mohan Dev Saini ( Saudi arabia ) says:

    Parag ji,

    Khoobsurat geeta bali ji & khoobsurat awaaj ( geeta dutt ji ) kaa sangam bahut khoobsurat hai.

  2. Ivan says:

    Greatings, Super post, Need to mark it on Digg

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