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धड़कने लगा दिल नज़र झुक गयी….नूतन की अदाकारी और गीता दत्त से स्वर, दुर्लभ संयोग

Friday, November 27th, 2009

Nutan

ल्ड इज़ गोल्ड’ पर इन दिनों आप सुन रहे हैं पार्श्वगायिका गीता दत्त के गाए हुए कुछ सुरीले सुमधुर गीत जो दस अलग अलग अभिनेत्रियों पर फ़िल्माए गए हैं। इन गीतों को चुनकर और इनके बारे में तमाम जानकारियाँ इकट्ठा कर हमें भेजा है गीता दत्त डोट कौम की टीम ने और उन्ही की कोशिश का यह नतीजा है कि गुज़रे ज़माने के ये अनमोल नग़में आप तक इस रूप में पहुँच रहे हैं।

नरगिस, मीना कुमारी, कल्पना कार्तिक और मधुबाला के बाद आज बारी है अदाकारा नूतन की। नूतन भी हिंदी फ़िल्म जगत की एक नामचीन अदाकारा रहीं हैं जिनके अभिनय का लोहा हर किसी ने माना है। हल्के फुल्के फ़िल्में हों या फिर संजीदे और भावुक फ़िल्में, हर फ़िल्म में वो अपनी अमिट छाप छोड़ जाती थीं। उनके अभिनय से सजी तमाम फ़िल्में आज क्लासिक फ़िल्मों में जगह बना चुकी है। वो एकमात्र ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्होने ५ बार फ़िल्मफ़ेयर के तहत सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता। नूतन मधुबाला, नरगिस या मीना कुमरी की तरह बहुत ज़्यादा ख़ूबसूरत या ग्लैमरस नहीं थीं, लेकिन उनकी सादगी के ही लोग दीवाने थे। उनकी ख़ूबसूरती उनके अंदर थी जो उनके स्वभाव और अभिनय में फूट पड़ती।

नूतन अभिनेत्री शोभना समर्थ की ज्येष्ठ पुत्री थीं। उन्हे अपना पहला बड़ा ब्रेक मिला था १९५५ की फ़िल्म ‘सीमा’ में, जिसके लिए उन्हे फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला था। उसके तुरंत बाद देव आनंद के साथ ‘पेयिंग् गेस्ट’ जैसी हास्य फ़िल्म करके सब को हैरान कर दिया उन्होने। १९५९ में राज कपूर की फ़िल्म ‘अनाड़ी’ और बिमल रॉय की फ़िल्म ‘सुजाता’ में उन्हे ख़ूब सराहना मिली। उनके अभिनय से सजी कुछ उल्लेखनीय फ़िल्मों के नाम हैं – सीमा, सुजाता, बंदिनी, दिल ही तो है, पेयिंग् गेस्ट, अनाड़ी, नाम, मेरी जंग, आदि। युं तो नूतन अच्छा गाती भी थीं, फ़िल्म ‘छबिली’ में उन्होने गीत भी गाए थे। लेकिन क्योंकि सिलसिला जारी है गीता दत्त के गाए गीत सुनने का, तो आज नूतन पर फ़िल्माया हुआ जो गीत हम चुनकर लाए हैं वह है फ़िल्म ‘हीर’ का।

१९५४ में बनीं फ़िल्म ‘हीर’ के मुख्य कलाकार थे प्रदीप कुमार और नूतन। यह फ़िल्मिस्तान की फ़िल्म थी जिसका निर्देशन किया था हमीद बट ने। फ़िल्म में संगीत था अनिल बिस्वास का, जिनके संगीत में इस साल किशोर कुमार व माला सिंहा अभिनीत फ़िल्म ‘पैसा ही पैसा’ भी प्रदर्शित हुई थी। ‘हीर’ उन अल्पसंख्यक फ़िल्मों में से एक है जिनमें नूतन नायिका हों और गीता जी ने गीत गाए हों। कहा जाता है कि गुरु दत्त नहीं चाहते थे कि गीता जी इस फ़िल्म में गाए क्योंकि उन्हे अनिल दा पसंद नहीं थे। लेकिन गीता जी की ज़िद के आगे उन्हे झुकना पड़ा और इस तरह से अनिल दा ने इस फ़िल्म में कुछ यादगार गीत रचे गीता जी के लिए। गीता दत्त इस फ़िल्म में कुल ३ एकल और एक हेमन्त कुमार के साथ युगल गीत गाये। आज सुनिए उनकी एकल आवाज़ में “धड़कने लगा दिल नज़र झुक गईं”।

युं तो गीता दत्त ने नूतन की चर्चित फ़िल्म ‘सुजाता’ में भी दो गीत गाये थे लेकिन उनमें से एक शशिकला पर (“बचपन के दिन भी क्या दिन थे”) और दूसरा सुलोचना पर (“नन्ही कली सोने चली हवा धीरे आना”) फ़िल्माया गया था। १९६० की फ़िल्म ‘मंज़िल’ में उन्होने नूतन के लिए “चुपके से मिले प्यासे प्यासे” गाया और ‘छबिली’ में उन्होने गाया “यारों किसी से ना कहना” नूतन के साथ। तो इन सब जानकारियों के बाद अब वक़्त हो चुका है आज का गीत सुनने का, तो सुनते हैं फ़िल्म ‘हीर’ का यह गीत जिसे लिखा है मजरूह सुल्तानपुरी साहब ने।

Source :

http://podcast.hindyugm.com/2009/11/dhadakane-laga-dil-nazar-jhuk-gayee.html

हम “हिन्दयुग्म ” के “आवाज़” परिवार के आभारी है, जिन्हें हमें यह लेख यहापर प्रस्तुत करने की अनुमती दी. सजीव जी और सुजॉय जी का विशेष आभार.